‘उमंग को तलाश है एक रचनात्मक स्वयंसेवी वैब डिजाईनर की’
प्रिय साथियो,
आपमें से काफी साथी शायद ये जानते होंगे कि
उमंग पाठशाला पिछले पांच सालों से जन सहयोग से चल रहा है। 32 अनाथ बच्चों से शुरू हुए
इस छोटे से प्रयोग ने धीरे-धीरे एक वैकल्पिक स्वरूप लेना शुरू कर दिया
है। उमंग अब अपने 6वें वर्ष में 130 बच्चों के साथ नए तरीकों के साथ शिक्षा के काम
में संलग्न है। उमंग उन बच्चों के लिए भी
रोशनी की किरण साबित हो रहा है जो पढाई से निराश हो चुके हैं। ये बच्चे कक्षाएं तो
पास करते हैं परन्तु पढने-लिखने की सामर्थ्य हासिल नहीं कर पाते। इस सत्र में भी अब
तक 10 से 17 साल की उम्र के 18 ऐसे बच्चे आ चुके हैं जिन्हें हिन्दी पढना-लिखना नहीं आता। उमंग भला इन्हें
कैसे निराश करता, इनमें से कुछ बच्चों ने पढना सीख लिया है, कुछ अभी सीख रहे हैं। ऐसे ही और कईं सारे नए प्रयोग हो रहे हैं जो सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को इस तरह आयोजित करते हैं कि बच्चों के चेहरों पर
खुशियां रहें।
ये सारी बातें जब हम दूसरों से साझा करते
हैं तो इस दौरान काफी सुझाव आए हैं कि उमंग को अपनी एक वैबसाईट का निर्माण करना
चाहिए, जिसमें उमंग के बारे में विस्तार से जानकारियां हों। जिमसें इसके दर्शन, टीम, गतिविधियों, उनको आयोजित
कराने के तरीकों और भविष्य की योजनाओं आदि का विस्तार से विवरण दिया गया हो। यदि
वैबसाईट का निर्माण होता है तो शिक्षा के इस प्रयोग से अन्य व्यक्तियों एवं
संस्थाएं को जुडने एवं एक-दूसरे को समझने में मदद मिलने की
संभावनाएं बढेंगी। अत: हम वैबसाईट के निर्माण के बारे में सोचने लगे हैं।
परन्तु जैसा कि पहले कहा गया है कि उमंग
के सारे क्रियाकलाप ‘जन सहयोग’ से संचालित हैं और अभी तक किसी
भी तरह की कोई दूसरी फंडिंग नहीं है। बच्चों से भी किसी तरह की फीस ली जाती तथा
उन्हें पढने-लिखने की सारी सामग्री उमंग द्वारा ही उपलब्ध करवाई जाती है। अत: इसी
पृष्ठभूमि में हम उन साथियों से सहयोग करने की अपील करना चाहते हैं जो वैबसाईट
डिजाईन करने की काबलियत रखते हैं और उमंग की वैबसाईट डिजाईन करने के काम में वालंटियर
ही हैसियत से नेतृत्वकारी भूमिका अदा करने का हौंसला भी। हम ऐसे साथियों का स्वागत
करते हैं।
आप सब साथियों से आग्रह है कि इस संदेश को
शेयर करके कोई कुशल वैबसाईट डिजाईनर ढूंढने में सहयोग करें - उमंग पाठशाला टीम